Bring India together

Wednesday, January 21, 2009


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-Deepak soni


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Send me an SMS

Sunday, December 21, 2008


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-Deepak soni


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ये अंदर की बात है !

Thursday, July 10, 2008





ND

सवाल- एक मुर्गी ने खंभे पर बैठकर
अंडा दिया, लेकिन अंडा नीचे नहीं गिरा।
क्यों? ....
जवाब- रूपा-ये अंदर की बात है।
अब भी नहीं समझे ? अरे भाई !
उसने चड्डी जो पहन रखी थी।

                                                                    

खुद नहीं देखोगे तो लोग दिखा देंगे आईना





बीरबल अपनी पगड़ी इतनी बढ़िया बाँधते थे कि अकबर अकसर तारीफ करते थे। इस बात से दुःखी मुल्ला दो-प्याजा ने ठान लिया कि वे बीरबल से अच्छी पगड़ी बाँधकर दिखाएँगे। इसके लिए उन्होंने अपने घर पर आईने के सामने घंटों पगड़ी बाँधने का अभ्यास किया और एक दिन बहुत ही उम्दा पगड़ी बाँधकर दरबार में पहुँचे। जो भी उनकी पगड़ी देखता, उसकी तारीफ करता। बादशाह से भी न रहा गया।

वे बोले- वाह मुल्ला साहब, आज तो आपने बीरबल को भी मात दे दी। क्यों बीरबल, तुम क्या कहते हो। बीरबल- हुजूर, तारीफ के काबिल मुल्ला साहब नहीं, उनकी बेगम हैं, जिन्होंने ये पगड़ी बाँधी है। इस पर मुल्ला बोले- यह सफेद झूठ है। पगड़ी मैंने खुद बाँधी है।

बीरबल- यदि ऐसा है, तो आप सबके सामने बाँधकर दिखाएँ। तब ताव में आए मुल्ला ने पगड़ी खोलकर बाँधना शुरू कर दिया, लेकिन वह रोज जैसी भी न बँध सकी। दरअसल वे आईने के सामने खड़े होकर ही पगड़ी बाँध सकते थे।
  बीरबल अपनी पगड़ी इतनी बढ़िया बाँधते थे कि अकबर अकसर तारीफ करते थे। इस बात से दुःखी मुल्ला दो-प्याजा ने ठान लिया कि वे बीरबल से अच्छी पगड़ी बाँधकर दिखाएँगे। इसके लिए उन्होंने अपने घर पर आईने के सामने घंटों पगड़ी बाँधने का अभ्यास किया।      


बीरबल ने इसी बात का अंदाजा लगाकर उन्हें उकसाया था, क्योंकि दरबार में आईना तो मिलने से रहा। बेतरतीब पगड़ी देखकर बादशाह ने चुटकी ली- क्यों मियाँ, बेगम के काम की वाहवाही आप लूटते हैं। इस पर सारा दरबार ठहाकों से गूँज उठा। मुल्ला साहब झेंपकर रह गए। क्या करते, बीरबल ने उन्हें आईना जो दिखा दिया था।

दोस्तो, कहते हैं कि इंसान को कोई भी काम करने से पहले आईने में अपना मुँह जरूर देख लेना चाहिए। यानी उसे यह देख लेना चाहिए कि जो काम वह करना चाहता है, उसे कर पाने की उसमें योग्यता या क्षमता है या नहीं, तभी उसे कदम आगे बढ़ाना चाहिए।
बूते के बाहर का काम करने की कोशिश में वह मुल्ला दो-प्याजा की तरह हँसी का पात्र बन जाता है। इसलिए यदि आप कुछ बड़ा करने, कर दिखाने का सपना देख रहे हैं, तो उस दिशा में कदम बढ़ाने से पहले मन रूपी दर्पण में झाँककर देख लें।

कहते हैं दर्पण झूठ नहीं बोलता। वैसे ही मन भी झूठ नहीं बोलता। वह आपको सही-सही बता देगा कि आप कितने पानी में हैं। यदि आप अपने मन रूपी दर्पण की बात को झुठलाने की कोशिश करेंगे तो आपके हिस्से में नाकामियों के सिवाय कुछ नहीं आएगा।

कहावत है कि आँख न दीदा काढ़े कसीदा। अब ऐसे में व्यक्ति ऐसे कसीदे तो काढ़ ही नहीं सकता कि उसकी तारीफ में कसीदे पढ़े जाएँ। तब तो उसकी मूर्खता पर हँसी ही आएगी।

दूसरी ओर, कुछ लोग दूसरों की देखा-देखी उस काम को करने लग जाते हैं, करने की कोशिश करते हैं, जो उनकी कुव्वत से बाहर की बात होती है। उन्हें यह गलतफहमी रहती है कि जब सामने वाला वह काम कर सकता है तो हम क्यों नहीं।

ऐसे व्यक्ति का भला चाहने वालों को एक बार उसे आईना दिखा देना चाहिए यानी उसे बता देना चाहिए कि इस बेकार की होड़ में उसे नाकामी ही मिलेगी। इसके बाद भी अगर वह न समझे तो उसकी किस्मत। दोस्तों का तो यह फर्ज ही होता है कि वे ऐसा करें, तभी तो सच्चे दोस्त की तुलना आईने से की गई है, जो अच्छा-बुरा साफ-साफ कह देता है।

और अंत में, आज 'कॉम्लीमेंट योर मिरर डे' है। वाकई हमें अपने मन के आईने की तारीफ करना चाहिए कि वह हमें हर बात सही-सही बताकर गलत राह और दिशा में जाने से रोकता रहता है। जो लोग इस आईने को साफ रखते हैं उनका व्यक्तित्व भी आईने की तरह एकदम साफ रहता है। लेकिन जिनके मन में मैल होता है, वे अपना भला-बुरा नहीं देख-सोच पाते।

कहते भी हैं सच्चाई तभी नजर आती है जब आईना साफ हो। इसे साफ न रखने वाले ऐसी गलती करते हैं कि वक्त उन्हें माफ नहीं करता। इसके साथ ही यदि आप में आत्मविश्वास की कमी है, अगर आप लोगों के सामने बोलने में झिझकते हैं, तो आईने से बातें करना सीखें। इससे व्यक्तित्व निखरता है।

यकीन मानिए इससे अच्छा दोस्त कोई हो नहीं सकता। लेकिन ऐसा भी न करें कि मुल्ला साहब की तरह आईने के बिना आपका काम ही न चले। इसके लिए आपको मन के आईने से भी बातें करने की प्रेक्टिस करना होगी। तब आप जो सीखेंगे, वह जरूरत पड़ने पर कहीं भी काम आएगा। अरे भई, आज मिरर में देखना भूल गए जो हॉरर मूवी के पात्र नजर आ रहे हो।

लापता बंदर




चिड़ियाघर का चौकीदार जागा,
तो पाया कि अंदर से

एक बंदर निकल भागा।
बंदर था नायाब,
और कीमती बेहिसाब,
इसलिए रिपोर्ट लिखवाई गई पुलिस में,
पुलिस ने भी
काफी दिलचस्पी ली इसमें।
बहुत दिनों चला
खोज का सिलसिला
पर बंदर नहीं मिला, नहीं मिला, नहीं मिला।

फिर एक
अंतरराष्ट्रीय बंदर अन्वेषण आयोग बिठाया गया,
दुनिया भर के पुलिस विशेषज्ञों को बुलाया गया।
अन्य बंदरों से भी पूछा
उनके साथियों से पूछा
तलाश में लग गया
तंत्र समूचा।

आधुनिकतम विधियों से
वैज्ञानिक प्रविधियों से
जमकर खोज हुई,
चौबीसों घंटे हर रोज हुई
पर बंदर फरार का फरार,
विदेशी विशेषज्ञों ने मान ली हार।
दिखा दी लाचारी,
तब इनाम रखा गया भारी।

इंस्पेक्टर बौड़मसिंह आए आगे,
उन्होंने बंदर बरामद करने के लिए
सिर्फ तीन घंटे माँगे।
थानेदार को सैल्यूट मारा,
और कर गए किनारा।
दो घंटे बाद देखा गया कि
इंस्पेक्टर बौड़मसिंह

थाने में एक गधे को
रस्सी पकड़कर
इधर से उधर घसीट रहे थे,
डंडे से लगातार पीट रहे थे।
ऐसा मारा बेभाव,
कि गधे के शरीर पर घाव ही घाव।

थानेदार ने बुलाया और कर दी खिंचाई-
तुम्हें बंदर ढूँढने भेजा था
और तुम कर रहे हो
गधे की धुनाई !
ये कैसा क्रिया-कलाप है,
जानते नहीं हो
निरीह जीवों को सताना पाप है ?
इंस्पेक्टर बौड़म बिलकुल नहीं घबराए,
पसीना पोंछ कर मुस्कराए -
हुजूर,
मैं पुलिस का पुराना धुरंधर हूँ,
सिर्फ आधा घंटे की मोहलत दीजिए
ये गधा अपने मुँह से बोलेगा-बक्कारेगा कि
जी हाँ, मैं ही बंदर हूँ।

ये बात मैंने आपको इसलिए बताई,
क्योंकि दुनिया जानती नहीं है
इंस्पेक्टर बौड़मसिंह की क्षमताई।
कि वे कितने चुस्त हैं
दुरुस्त हैं,
शेष देशों के पुलिस वाले तो
एकदम सुस्त हैं।
इसलिए इंस्पेक्टर बौड़मसिंह के गुण गाएँ,
उनकी यशगाथा हर किसी को सुनाएँ।
बाकी सबको धता दें,
और आपकी जानकारी के लिए
इतना बता दें
कि बंदर अब फिर से
चिड़ियाघर के अंदर कैदी है,
यही तो
पुलिस इंस्पेक्टर बौड़म सिंह की
मुस्तैदी है।

Real advertisements

Friday, June 20, 2008

 
Supposedly, these are actual advertisements that have appeared in papers across the country.

Lost: small apricot poodle. Reward. Neutered. Like one of the family.

A superb and inexpensive restaurant. Fine food expertly served by waitresses in appetizing forms.

Dinner Special -- Turkey $2.35; Chicken or Beef $2.25; Children $2.00.

For sale: an antique desk suitable for lady with thick legs and large drawers.

Four-poster bed, 101 years old. Perfect for antique lover.

Now is your chance to have your ears pierced and get an extra pair to take home, too.

Wanted: 50 girls for stripping machine operators in factory.

Wanted: Unmarried girls to pick fresh fruit and produce at night.

We do not tear your clothing with machinery. We do it carefully by hand.

Jai Mata Di!

Sunday, June 15, 2008

Tearcher : A for...?
 
Student : Apple
 
Teacher : Zor se bolo
 
Student : Jai Mata Di!