चश्मदीद गवाह
Saturday, June 16, 2007
जज- तुम डकैती होते देखते रहे, डाकुओं को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की?
गवाह- जनाब अगर मेरी जान चली जाती तो आपको चश्मदीद गवाह कहाँ से मिलता?
1 comments:
रवि रतलामी
said...
June 16, 2007 at 10:44 AM
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एक्सपांड पोस्ट का जावास्क्रिप्ट फ़ॉयरफ़ॉक्स पर काम नहीं कर रहा है. :(